Ismat Chughtai Google Doodle: इस्मत चुग़ताई का आज 107वां जन्मदिन

Ismat Chughtai Google Doodle: इस्मत चुग़ताई का आज 107वां जन्मदिन

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प्रसिद्ध फ़िक्शन लेखिका इस्मत चुग़ताई का आज 21 अगस्त को 107वां जन्मदिन हैं। उनके जन्मदिन पर गूगल ने डूडल बनाकर उन्हें अपने ख़ास अंदाज़ में श्रद्धांजलि दी है। चलिए आज उनके जन्मदिन पर जानते हैं इनके जीवन से जुडी कुछ ख़ास बाते।

लेखिका इस्मत चुग़ताई का जन्म 21 अगस्त 1915 में उत्तर प्रदेश के बदायूं में हुआ था। वे उर्दू साहित्य की सबसे ज़्यादा विवादास्पद लेखिका थीं, जिन्होंने महिलाओं के सवालों को नए सिरे से उठाया। इस्मत चुग़ताई ने महिला सशक्तिकरण पर अपने अंदाज़ में कई लेख लिखे। लेकिन उनकी कहानियों और लेखों को उस वक़्त अश्लील होने का चिन्ह लगाया गया। उन्होंने निम्न मध्यवर्गीय मुस्लिम तबक़ें की लड़कियों की मनोदशा को उर्दू कहानियों व उपन्यासों में पूरी सच्चाई से बयान किया है।

उनकी लिखी कहानी “लिहाफ” शायद ही किसी ने न पढ़ी हो। इस कहानी में उन्होंने लेस्बियन रिलेशनशिप के बारे में लिखा। अपने लेखन की वजह से वो हमेशा लोगों के निशाने पर रहीं। “लिहाफ” के लिए तो उन्हें लाहौर हाई कोर्ट ने केस लड़ना पड़ा था। और वो इस केस में जीत भी गई थी।

उर्दू साहित्य में योगदान के लिए लेखिका इस्मत चुग़ताई को पद्मश्री (1976) से नवाज़ा गया। इसके अलावा उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार, इक़बाल सम्मान, मखदूम अवॉर्ड और नेहरू अवॉर्ड पुरस्कार मिले।

उन्होंने उस वक़्त कई फिल्म के लिए भी स्क्रिप्ट लिखी और फिल्म “जुगनू” में तो उन्होंने अभिनय भी किया। उनकी पहली फिल्म “छेड़-छाड़” आई1943 में। उस वक़्त की लगभग 13 फिल्मों में वो भागीदार रही। फ़िल्म “गर्म हवा” (1973) को कई पुरस्कार मिले। जो उनकी आख़िरी फिल्म थी।

उनके उपन्यास “टेढी लकीरे” में उन्होंने अपने ही जीवन को मुख्य आधार बनाकर एक स्त्री के जीवन में आने वाली समस्याओं और स्त्री के नजरिए से समाज को पेश किया है।

उन्होंने उस वक़्त पुरुष प्रधान समाज में स्त्रियों के मुद्दों को कहीं चुटीले और कहीं संजीदा ढंग से पेश करने का जोखिम उठाया।