एमेनोरिया – ये कोई बीमारी नहीं है बल्कि बीमारी के लक्षण है

एमेनोरिया – ये कोई बीमारी नहीं है बल्कि बीमारी के लक्षण है

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Photo Courtesy : alwaysayurveda
एमेनोरिया का मतलब है एबसेंस ऑफ मेंस्ट्रुएशन। महिलाओं से जुडी इस समस्या के बारे में सिटी वुमन मैग्जीन ने की खास बातचीत गुरूग्राम के सिविल हॉस्पिटल के मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर सुधिर कुमार के साथ।
समान्य रूप से लड़कियों में मासिक धर्म 14 से 16 साल में शुरू हो जाते हैं। पर अगर ऐसा न हो तो इसका मतलब है कि उसे एमेनोरिया की समस्या है। ये कोई बीमारी नहीं है बल्कि बीमारी के लक्षण है।
कई महिलाओं में देखा जाता है की वो कम खाना खाती हैं। या खाने के बाद अक्सर उल्टी कर देती हैं। इसके अलावा जो महिलाएं साइक्लोजिकल स्ट्रेस में रहती हैं। उन्हें एमेनोरिया होने के चांस ज्यादा होते हैं। इसके आलावा ब्रेन ट्यूमर, यूट्रस और वजाइना में कोई डेवलॉपमेंट डिफेक्ट, लम्बे समय तक कोन्ट्रसेप्टिव लेने की वजह से भी एमेनोरिया हो सकता है। साथ ही एथलिट महिलाओं को भी एमेनोरिया हो सकता है।
एमेनोरिया दो तरह का होता है। प्राइमरी एमेनोरिया और सेकेंडरी एमेनोरिया।
प्राइमरी एमेनोरिया में 14 साल लड़कियों के जो सेकेन्ड्री सेक्सुअल कैरेक्टरस होते है वो तो डेवलपड हो जाते हैं। लेकिन उनको पीरियड्स शुरू नहीं होते हैं। तो कई बार लडकियों में पीरियड्स डिले भी होते हैं। 16 साल तक की उम्र तक अगर सेकेंडरी सेक्सुअल केरैक्टरस डेवलपड नहीं होते हैं तो इसका मेडिकली इंवेस्टीगेशन कराना ज़रूरी है।
सेकेंडरी एमेनोरिया होता है जैसे किसी महिला को मासिक धर्म यानि पीरियड्स पहले सही रहे हों पर किसी वजह से उसे लगातार तीन साइकल तक मासिक धर्म न आए हों या छह महीने तक मासिक धर्म न आया हो। तो ये सेकेंडरी एमेनोरिया में आता है।
शरीर में एडोक्रेनल ग्लैंड्स होते हैं। जिनके अंदर कुछ कमी आने की वजह से ये समस्या होती हैं। इसके होने के जो मेजर कारण है वो हाईपोथेलेमिक कारण हो सकते हैं। हमारे दिमाग में एक पीचुट्री ग्लैंड होती है। जिसमें कुछ खराबी आने की वजह से भी ये एमेनोरिया हो सकता है। इसके अलावा ओवेरियन डिसफंशन और यूट्रस या वजाइना में कुछ समस्या आने की वजह से भी एमेनोरिया हो सकता हैं।
इसका इलाज पेशेंट की केयरफुल हिस्ट्री प्रोपर इंवेस्टिगेशन और टेस्ट्स करने के बाद किया जाता है। जिसे दो तरह से डिवाइड किया जा सकता है।
सेंकडिरी सेक्शुयल कैरेक्टर प्रेसेंट है या नहीं। अगर एब्सेंट है। तो लड़की का 16 साल की उम्र तक इंवेस्टिगेशन करा लेनी चाहिए ।
लेकिन अगर सेंकडिरी सेक्शुयल कैरेक्टर प्रेसेंट है तो 18 साल के बाद इंवेस्टिगेशन करते है। हार्मोन जैसे FSH, प्रोलैक्टिन हॉर्मोन का लेवल देखा जाता है। ।
इसमें फिजियोलोजिकल एमेनोरिया को पहले पता कर लेना चाहिए जो प्रेगनेंसी लक्टशन डिस्ट्रेकटमी और पोस्ट मुनोपजल में होता है।
अगर एमेनारिया का समय के रहते ईलाज न किया जाए तो इसकी वजह से हार्मोनल इम्बेंलेंस, ओस्टियोपोरोसिस, मानसिक तनाव, इनफर्टिलिटी, यूट्राईन कैंसर और हार्ट से सम्बधिंत समस्याए भी हो सकती है। इसलिए एमेनोरिया का पता चलते ही इसका समय से ईलाज कराना बहुत ज़रूरी है।