Story by Ravina Choithramani, Mumbai
मुम्बई की Dharavi शायद ही कोई होगा जो इस जगह के नाम से वाकिफ न हो। Dharavi को एशिया की सबसे बड़ी झोपड़पट्टी यानि स्लम भी कहा जाता है। लगभग 217 हेक्टेयर्स में रची -बसी धारावी में हजारों की तादात में लोग कारोबार करते हैं। जिनका टर्नओवर करोडो में है। वैसे तो इस बस्ती में कई बड़े बड़े बिजनेस होते है। जिनमें से एक है www.dharavimarket.com जिसकी कमान संभाल रखी है Megha Gupta ने।
धारावी मार्किट डॉट कॉम वेब साइट से लगभग 300 कारीगरों को रोजगार मिल चुका है। इस वेबसाइट के जर्रिये बैग्स , क्ले एंड पॉटरी, शूज, जैकेट्स और कई अन्य सामान सिर्फ देश में ही नहीं विदेशों में भी बेचा जा रहा है।
Megha एक urbanologist है। उन्हें सामाजिक विकास के क्षेत्र मे सात साल काम का अनुभव भी है। मेघा गुप्ता ने 2006 में मुंबई विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढाई की। धारावी मार्किट डॉट कॉम अगस्त 2014 में शुरू किया गया था. इस के स्टार्ट करने के पीछे कारण था की धारावी में जो प्रोडक्ट्स बनते है , वो इतनी अच्छी क्वालिटी के है उनको एक प्लेटफार्म मिल सके।
Megha रोज़ सुबह 10:30 बजे तक ऑफस आ जाती है। उसके बाद अपने स्टाफ को काम असाइन करके धारावी जाती है। वहां जा कर देखती है की वर्कर्स अपना काम कैसे कर रहे है ? उन्हें कोई तकलीफ तो नही है? वर्कर्स टाइम पर काम पूरा कर रही है की नही ? शुरुआत में Megha डेली 15 घंटे काम करती थी , जाहिर है 15 घंटे काम करने के बाद में भी थक जाती थी। अभी सब सेट हो गया है, अब Megha 10 से 12 घंटे काम करती है।
Megha का कहना ही की वो जॉब छोड़ कर बिज़नस में इसलिए आईं क्योंकि वो हमेशा से एक बिज़नस ही करना चाहती थी , उन्हें एक बिज़नस वीमेन बनना था। Megha ने हमें बताया कि – धारावी में जो भी प्रोडक्ट्स बनते है , वो हम खुद बनाते है। हम जल्द ही खुद के ब्रांड के नाम पर प्रोडक्ट्स बेच ने वाले है जिसका नाम “धामा” रखा जायेगा। धामा के पूरी तरह से आने पर हम टॉप क्वालिटी प्रोडक्ट टेस्ट करके बेचेंगे और जिसके लिए हमने फैशन स्कूल के साथ टाई-उप किया है जिससे की यहाँ बिकने वाले हर सामान का डिज़ाइन अच्छा लगे। हम यहाँ खूबसूरत कवर, दीये, लेदर के बैग्स बनाते हैं।
शुरुआत में हमें कई तरह की परेशानियां हुई टेक्निकली। बाद में हमने जानना की यहाँ के लोगो को स्मार्ट फ़ोन यूज़ करना आता है जिससे की हममे बड़ी मदद मिली और जिसके जरिये हमे अपना काम आगे बढ़ाया। टेक्नोलॉजी की वजह से आज हम बड़ी आसानी से उनसे जुड़ पाते है। उनसे कॉन्टेक्ट के पाते हैं। उनके डिजाईन और प्राइज चेक कर पाते है, पसंद कर पाते हैं। हमने जब यह धामा मार्किट स्टार्ट की थी तब हमारा बजट पांच लाख से काम था और अब हमारी सेल्स पचास लाख से अधिक है।