मोनिका धवन : लाइफ कोचिंग के ज़रिये रिश्तो को संवारना, इससे बेहतरीन...

मोनिका धवन : लाइफ कोचिंग के ज़रिये रिश्तो को संवारना, इससे बेहतरीन क्या हो सकता है

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दिल्ली की एक बहुत ही खूबसूरत, यंग और स्मार्ट लाइफ कोच, मोनिका धवन। आज ज़्यादातर खूबसूरत लड़कियां ग्लैमर या फैशन वर्ल्ड का हिस्सा बनना चाहती हैं। पर मोनिका इस यंग ऐज में लाइफ कोचिंग की फील्ड से जुड़ गई। साथ ही महिला सशक्तिकरण की जागरूकता के लिए के काम कर रही हैं। मोनिका एक मोटिवेशनल स्पीकर भी हैं। जो लोगो को मदद कर रही है उनकी ज़िंन्दगी को उनके हिसाब से संवारने में। मोनिका की एक विख्यात कविता भी कई मैगज़ीन में छप चुकी है जिसका शीर्षक है “हाँ मैं दिल्ली की लड़की हूँ पर अकेले रहने से डरती हूँ।” मोनिका इन दिनों लाइफ कोचिंग पर एक बुक भी लिख रही हैं। जो खासकर लोगो को मदद करेगी जो एक बिखरे हुए परिवार का हिस्सा हैं। सिटी वुमन मैगजीन ने की ख़ास बातचीत लाइफ कोच मोनिका धवन से। चलिए जाने हैं उनका अनुभव इस फील्ड के बारे में।

आप खूबसूरत हैं और स्मार्ट हैं कॉरपोरेट हाउस में काम कर चुकी हैं फिर इस यंग ऐज में लाइफ कोचिंग क्यों चुनी ?
लाइफ कोचिंग एक बहुत ही बेहतरीन फील्ड है। मेरी हमेशा से इस बात में दिलचस्पी रहती थी कि क्या हम अपनी ज़िंदगी अपने हिसाब से जी सकते हैं। मैंने हिप्नोथेरेपी सीखी, हैंडराइटिंग एनालिसिस सीखा, टैरो कार्ड रीडिंग सीखी। मैंने कैलिफ़ोर्निया हिप्नोसिस इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया से क्लासिस ली। और लाइफ कोचिंग शुरू की। आज मुझे इस फील्ड में कई साल हो गए हैं।

आज रिश्तो को सम्भलना और उसमे ईमानदारी बनाये रखना बहुत मुश्किल हो गया है। आपका अनुभव क्या कहता है ?
मैं लोगो के साथ रिलेशनशिप्स पर भी काम करती हूँ। आज के रिलेशनशिप्स में ईमानदारी बहुत बड़ा इशू रहता है। ऐसे कई केस होते हैं जब हम देखते है की रिलेशनशिप्स में कई बार कोई एक पार्टनर ऐसा भी निकल आता है जो उस रिश्ते को लेकर संजीदा नहीं होता। अपनी पार्टनर से झूट बोलना उनकी आदत बन जाती है। एक ऐसा ही कपल एक बार मेरे पास आया। हालांकि उस लड़की को विश्वास नहीं था की उनका पार्टनर उनके साथ ईमानदार हो पायेगा। पर धीरे धीरे सेशंस के बाद लड़की को अपने पार्टनर में बदलाव दिखने लगे। समय लगा पर आज उनके रिश्ते में प्यार और ईमानदारी दोनों हैं। लाइफ कोचिंग के ज़रिये रिश्तो को संवारना, भला इससे बेहतरीन क्या हो सकता है।

क्या सिग्नेचर एनालिसिस (हस्ताक्षर विश्लेषण) के ज़रिये रिलेशनशिप्स में मदद की जा सकती है ?

सबसे पहले तो ये जानना बहुत ज़रूरी है की सिग्नेचर एनालिसिस (हस्ताक्षर विश्लेषण) और हैंडराइटिंग एनालिसिस (हस्तलेख विश्लेषण) में क्या फर्क है। हैंडराइटिंग एनालिसिस हमारी कोर पर्सनालिटी दर्शाता है। कि हम अपने बारे में अंदर से कैसा फील करते हैं। हमारी इंटरपर्सनल रिलेशनशिप कैसी है हमारी फॅमिली के साथ ? जिससे हम प्यार करते है या हमारी रोमेंटिक रिलेशनशिप कैसी है ? कॅरिअर में हम कितने सफल हैं ?
जबकि सिग्नेचर एनालिसिस में हम जो अपनी सोशल इमेज बना कर रखते हैं। जैसे आप देखेंगे की कई लोगो के सिग्नेचर काफी खूबसूरत होते हैं। जबकि उनकी हैंडराइटिंग इतनी अच्छी नहीं होती है। तो ये जो सिग्नेचर एनालिसिस के ज़रिये आप किसी की भी सोशल इमेज को समझ सकते हैं। की सामने वाला सोशली अपने आपको कैसे दिखाना पसंद करता है। रिलेशनशिप्स में सिग्नेचर एनालिसिस और हैंडराइटिंग एनालिसिस से बहुत मदद कर सकता है। आज लोगो में अलग हो जाने या फिर कहें अकेले रहने की समस्या बढ़ रही है। ऐसे में हर कोई उम्मीद करता है की कोई बाहर से आकर हमें खुशियां दे। आपको स्पेशल फील कराये। अगर आप रिलेशनशिप्स में अकेला महसूस करते हैं तो आपका पार्टनर आपके साथ कम टाइम गुज़रता है क्यूंकि आप से उसे रिलेशनशिप्स में जो पॉजिटिव वाइव्स नहीं मिल पाती। अगर आप उनकी हैंडराइटिंग में जहाँ गांठ पड़ गई है उसे बदल दें तो रिश्ते भी संभल सकते हैं और अकेलापन भरा जा सकता है।

अपनी कमियों को ठीक करने की बजाये उन्हें नज़रअंदाज़ करना क्या ये गलत नहीं है ?

हमें बचपन से सिखाया जाता है कि हमें हमेशा अपने आपको बेहतर तरीके से पेश करना चाहिए। यानि अगर आपके व्यवहार में या आपमें कोई कमी है तो उसे नेगेटिव तरीके से देखा जाता है। जैसे अगर किसी को कहा जाये की उसे गुस्सा बहुत आता है पर वो इस बात को स्वीकार नहीं करेंगे। वरना लोग उन्हें टैग दे सकते हैं की वो गुस्सैल हैं। इस लिए भी लोग अपनी बहुत सी कमियों को होते हुए भी स्वीकार नहीं करते। अगर हम व्यव्हार में बदलाव लाते हैं उसमे परिवर्तन करते हैं तो हमारी ज़िंदगी बहुत ही खूबसूरत हो जाती है। कमियों को बेहतर करने में कोई बुराई नहीं होती।

एक लाइफ कोच होने के नाते आपका क्या उद्देश्य है ?

एक लाइफ कोच होने के नाते मेरा यही उद्देश्य है कि मैं ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुंचू और उनकी मदद कर सकूँ। हमें हमेशा ये सिखाया जाता है की तो बच्चे अव्वल आते हैं, टॉप करते हैं वही प्रतिभावान होते हैं बाकि सब एक एवरेज यानि मध्यम सी ज़िंदगी जीते हैं। मैं लोगों को ये मैसेज देना चाहती हूँ की हर इंसान एक दूसरे से अलग होता है। हर इंसान में अपने कुछ खास गुण होते है। बस उन्हें पहचानने की ज़रूरत है। इंसान को की प्रतिभा को परीक्षा में आये परिणाम से नहीं , उसकी क्षमता और गुणों के हिसाब से ज़िंदगी जीने का मौका मिले।