एक्सक्लूसिव इंटरव्यू : लाइफ डिज़ाइनर दीपिका कपूर

एक्सक्लूसिव इंटरव्यू : लाइफ डिज़ाइनर दीपिका कपूर

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खुद से जीतने की ज़िद्द है मेरी, मुझे खुद को ही हराना है

मैं भीड़ नहीं हूँ दुनिया की, मेरे अंदर एक ज़माना है – दीपिका कपूर

लाइफ डिज़ाइनर एक दीपिका कपूर की ये चंद खूबसूरत लाइन उनकी खुद की शख्सियत का वर्णन करने के लिए एक दम सटीक (परफेक्ट) हैं। दीपिका कपूर दिल्ली एनसीआर की एक प्रतिष्ठित न्यूमरोलॉजिस्ट, टैरो रीडर, क्रिस्टल हीलर के अलावा, एक आशावादी प्रतिष्ठित कॉउंसलर भी हैं। दीपिका कपूर को खुद इस जगत में 6 साल हो चुके हैं। जिस तरह से ज्योतिष में ग्रहों का हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है ठीक उसी तरह अंकों का भीहमारे जीवन से गहरा नाता होता है। अंकज्योतिष यानि न्यूमरोलॉजी के ज़रिये अंकों के आधार पर मनुष्य के भविष्य का आंकलन किया जाता है। जानते है कुछ बहुत ही ज़रूरी और बारीक बातें न्यूमरोलॉजी, बारे में दीपिका कपूर से की किस तरह से इस विद्या के ज़रिये लोग अपने जीवन की परेशानियों और बुरे वक़्त से निजाद पा सकते हैं।

सबसे पहले आपसे जाना चाहेंगे कि न्यूमरोलॉजी क्या है ?

न्यूमरोलॉजी एक रहस्यमय विज्ञान है। जिसकी हर बात में लॉजिक होता है। ये 1 से 9 नंबर पर आधारित विज्ञान है। जिसमे हर नंबर एक प्लेनेट को रिप्रेजेंट करता है। हर नंबर की अपनी एनर्जी होती है। जैसे अगर हम नंबर 1 को ले, तो वो सूर्ये को रिप्रेजेंट करता है। जो कोई 1, 10, 19, 28 को जन्म लेते हैं। उनको सूर्ये रिप्रेजेंट करता है। वैसे ही नंबर 2 को मून रिप्रेजेंट करता है। उसके हिसाब से ही हमारी सारी केलकुलेशन होती है। जिसके हिसाब से हम बताते हैं की सामने वाले को ये प्रॉब्लम्स आएंगी, तो आएँगी। हम उसे रोक नहीं सकते है। हाँ उन पर काबू पा सकते हैं। जैसे “आपकी हाइट आपकी डेस्टनी है लेकिन आपको वेट आपकी खुद की इच्छा होती है”  हमारी किस्मत और हमारे कर्म एक साथ चलते हैं। जो हमारी डेट ऑफ बर्थ है उसे हम बदल नहीं सकते हैं। पर उसे हम समझदारी से ज़रूर यूज़ कर सकते हैं। जैसे हम नंबर 1 है। या जो कोई 1, 10, 19, 28  को जन्म लेते हैं। तो ज्यादातर देखा जाता है की उनका जन्म ही लीड करने के लिए हुआ है। उनमे बहुत ही लीडरशिप गुण होते है। बिंदास होते हैं। उन्हें जो करना है वो करना ही है।

किस तरह से नम्बर्स हमारे आज और कल को प्रभावित करते हैं ?  न्यूमरोलॉजी के सकारात्मक प्रभावों के बारे में कुछ बताइये ?

जैसे हर नंबर एक प्लेनेट को रिप्रेजेंट करता है वैसे ही वैसे ही हर अल्फाबेट भी एक डिजिट को रिप्रेजेंट करता हैं। पहले ये फिल्म इंडस्ट्री में चलता था नाम बदलना। उसमे क्या जोड़ना है? क्या हटाना है? पर अब आम लोग भी इसकी तरफ आकर्षित हो रहे हैं। मेरा मानना है हर किसी ने इस दुनिया में कुछ न कुछ स्पेशल स्पार्क के साथ जन्म लिया है। बस उसको पोलिश यानि चमकाने की ज़रूरत है। जैसे में एक सिंपल हाउस वाइफ थी। पहले में बुक्स पढ़ती थी, तेरो की बुक्स पढ़ती थी, फिर लोगो के कार्ड्स की प्रेडिक्शन करती थी। फिर मैंने डिसीजन लिया की में इसी में अपना कर्रियर शुरू करुँगी। जिनसे मैंने ये विद्या सीखी उन्होंने मुझसे कहा की तुम्हारे पास नाम और शोहरत दोनों है। यानी 40 साल की उम्र से पहले का वक़्त मैंने अपना बेकार कर दिया। लेकिन उनके कहने पर मैंने अपनी उम्र के 40 वें साल में ये काम शुरू किया। आज इसका परिणाम सबके सामने है।

आपने भी अक्सर सुना होगा की हम लोग कई नंबर्स को शुभ और कुछ को अशुभ मानते हैं। इसकेबारे में आपकी क्या राय है?

बिलकुल नहीं। कोई नंबर शुभ – अशुभ नहीं होते हैं। अब जैसे मैं आपको उदहारण देती हूँ।  नंबर 4  रिप्रेजेंट करता है राहु को। नंबर 13 रिप्रेजेंट करता है राहु को। एक अच्छा न्यूमरोलॉजिस्ट हमें सिखा सकता है की अपनी मेहनत सही दिशा में करो। अब मिस्टर ओबामा हैं वो नंबर 4 हैं। हमारे यहाँ 13 नंबर को बहुत अशुभ माना जाता है। जबकि एक्ट्रेस जूही चावला वो नंबर 13 हैं। उनमे नंबर 1 और 3 दोनों के ही गुण हैं। सूर्ये भी है जुपिटर भी है। बहुत व्यवस्थित और एस्टब्लिश लोग होते हैं ये। ये शुभ – अशुभ सिर्फ एक मिथक है। अब इंसान पूरी ज़िंदगी इस मिथ के साथ ही जीता है लोगो की सुनता है , तुम तो 13 को पैदा हुए हो। ऐसा है वैसा है तो अगर हमने अपने दिमाग में सोच लिया है की हम अशुभ हैं तो हम उन्ही चीजों को आकर्षित करेंगे। इसलिए ये शुभ – अशुभ सब मिथ हैं।

न्यूमरोलॉजी और करिअर कॉउंसलिंग के बीच क्या सम्बन्ध है ?

कई लोग कहते हैं की न्यूमरोलॉजिस्ट करियर कॉउंसलर कैसे है ? मेरा जवाब है हाँ न्यूमरोलॉजिस्ट करियर कॉउंसलर है। आज हर कोई आगे बढ़ना चाहता है। अगर आप सही दिशा मेहनत करते हैं तो ये संभव है। जिसमे न्यूमरोलॉजी आपको बहुत मदद कर सकती है। कई बार क्या होता है कि सामने वाला पैशनेट है पर उनको अपना विजन साफ़ नहीं होता। तो जब मेरे पास वो आते हैं तो हम उन्हें बताते हैं की वो सही दिशा में मेहनत करके आगे बढ़ सकते है। अब जैसे मेरा बेटा पढ़ने में बहुत इंटेलीजेंट नहीं था। बेटे के लिए कोचिंग का ऑप्शन था पर मैंने उसके लिए होम ट्यूशन लगाईं। वो ही बेटा उस वक़्त टोपर बना 10 वीं क्लास में। तो कई बार हमें कुछ ख़ास कोशिशे करनी पड़ती है। दो हाथ सबके पास होते हैं पर फिंगर टिप्स सबकी अलग होती है।