इंदिरा द आयरन लेडीः जिसके डर से कांपता था अमेरिका

इंदिरा द आयरन लेडीः जिसके डर से कांपता था अमेरिका

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Indira Gandhi / Photo Courtesy : Cultural India

देश की एक ऐसी महिला जिसे हम ‘आयरन लेडी’ के नाम से भी जानते हैं। हम बात कर रहे हैं देश की पहली महिला प्रधानमंत्री ‘इंदिरा गांधी’ की। देश आज आयरन लेडी की 33वीं पुण्य तिथि मना रहा है। एक वक्त ऐसा भी था जब आयरन लेडी के डर से अमेरिका भी कांपता था। चलिए आपको बताते हैं कि आखिर क्यों इंदिरा के डर से अमेरिका भी पस्त हो गया था।

अमेरिका के जंगी जहाज लौटे थे वापस

अमेरिका के साथ जितने अच्छे रिश्ते आज देखने को मिलते हैं, एक वक्त ऐसा भी था जब रिश्ते कड़वे हुआ करते थे। अमेरिका ने भारत का साथ ने देते हुए हमेशा से ही पाकिस्तान का साथ दिया। अमेरिका भारत को तकनीक, नए और आधुनिक हथियार देने के लिए कभी तैयार नहीं हुआ। 1971 का वो वक्त जब भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध चल रहा था। उस समय भारत के साथ कोई नहीं था और पाकिस्तान के साथ थे विश्व के ज्यादातर शक्तिशाली देश। जिसके बाद अमेरिका ने युद्ध में पाकिस्तान की मदद करने के लिए अपने जंगी जहाजों का बेड़ा भेजा था, लेकिन इस संकट की घड़ी में भारत का अगर किसी ने साथ दिया तो वो था रूस (सोवियत संघ)। इधर अमेरिका ने अपने जंगी जहाज पाकिस्तान की मदद के लिए भेजे और उधर सोवियत संघ ने अपना युद्धपोत भारतीय सेना की सुरक्षा के लिए रवाना कर दिया था और ये सब हुआ आयरन लेडी के इशारे पर। अमेरिका इंदिरा द्वारा उठाए गए इस कदम से इतना डर गया था कि उसने अपने जंगी जहाजों को आगे बढ़ने से रोक दिया था।

1974 में देश को दी परमाणु शक्ति

1966 से 1977 और 1980 से 1984 तक इंदिरा गांधी ने देश का नेतृत्व किया। इंदिरा गांधी ने 1974 में स्माइलिंग बुद्धा के अनोपचारिक छाया नाम से एक सफलतापूर्वक भूमिगत परमाणु परीक्षण कर के देश को परमाणु शक्ति प्रदान की। परमाणु परीक्षण का सफलतापूर्वक परीक्षण राजस्थान में बसे गांव पोखरण के पास किया गया था।

भारत रत्न से सम्मानित है इंदिरा गांधी

इंदिरा गांधी के पिता जवाहरलाल नेहरू का जब निधन हुआ तब उसके बाद इंदिरा सक्रिय राजनीति में आई। जिस समय पहली बार लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री बने थे, उस वक्त इंदिरा गांधी ने सूचना और प्रसारण मंत्री का पदभार संभाला था। वहीं शास्त्री जी के निधन के बाद इंदिरा देश की तीसरी प्रधानमंत्री बनी। साथ ही 1971 में भारत रत्न से इंदिरा गांधी को सम्मानित भी किया गया।