जयपुर की पहली महिला कुली मंजू देवी

जयपुर की पहली महिला कुली मंजू देवी

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कहते हैं की गर हौसला हो तो आपको उड़ान भरने से कोई रोक नहीं सकता! जयपुर रेलवे स्टेशन की पहली महिला कुली मंजू देवी जो जिसने अपनी हिम्मत से सफलता की नयी इबारत लिखी| मंजू देवी ने साबित कर दिया कि जो काम पुरुष कर सकते हैं वो महिलाएं भी कर सकती हैं| पति की मौत के बाद अपने तीन बच्चे की परवरिश की लिए हार नहीं मानी और बच्चों की खातिर जिसने जयपुर स्टेशन पर कुली का काम का बिल्ला लगा लिया

आपने अकसर रेलवे स्टेशन पर परुष कुलियों को देखा है जो आपकी भारी वजन को अपने सर पर उठाकर आपका सफ़र को आसान बनता है| लेकिन जयपुर स्टेशन पर आपको एक ऐसी कुली मिलेगी जो जयपुर रेलवे स्टेशन पर काम करने वाली एकमात्र महिला कुली हैं| जिनका नाम मंजू देवी है| जिन्हें इस काम से ना तो शर्म आती है और न ही पैसेंजर के वजनी सामान उठाने में उन्हें कोई तकलीफ महसूस होती है

आज मंजू देवी समाज की उन महिलाओं के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं हैं जो मुसीबतों के सामने हार मान लेती है| मंजू देवी ने भी अपने पति की मौत के बाद हार मानने के बजाय मुसीबतों का सामना करते हुए कुली बनने का फैसला लिया| जिस जयपुर स्टेशन पर एक भी महिला कुली नहीं है, वहीँ मंजू देवी स्टेशन पर पुरुष कुलियों के साथ बैठकर वो यात्रियों का इंतजार करती हैं| लोगों की आँखे उन्हें कुली के रूप में देखकर खुली की खुली रह जाती हैं| देशभर की 90 महिलाओं को अपनी अलग पहचान बनाने के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी मंजू देवी को पुरस्कृत करते तारीफ किये थे
मंजू देवी कहती हैं कि शुरु में उन्हें भी कई परेशानियों से दो-चार होना पड़ा क्योंकि स्टेशन पर एक भी महिला कुली नहीं थी|उन्होंने कुली का लाइसेंस लेने में परेशानी हुई थी लेकिन उन्होंने अपनी जिद नहीं छोड़ी|लिहाजा, रेलवे ने उन्हें बैज दे दिया|इसके बाद मैंने खुद का अपना यूनिफॉर्म तैयार किया। तमाम दिक्कतों के बाद आज लाल कुर्ते व काले सलवार में मंजू देवी स्टेशन पर पैसेंजर्स के ‘कुली’ आवाज लगाने की उम्मीद में रोजाना पहुंचती हैं।