अनिल मुरारका मिराचेम इंडस्ट्रीज के मैनेजिंग डायरेक्टर और साथ ही एक जाने माने समाज सेवी हैं। जो छात्रों के कल्याण और शिक्षा के लिए लम्बे समय से काम कर रहे हैं। अनिल मुरारका एनजीईटी इंडिया, एनएएसओओएच के अलावा कई गैर सरकारी संगठनों के साथ जुड़े हुए हैं।
अनिल मुरारका को उनकी समाज सेवा के लिए कई बार सम्मानित भी किया जाता रहा है। भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा उन्हें, मुंबई में गुरु नानक कॉलेज में आयोजित एक समारोह में सम्मानित किया गया। उन्हें सामाजिक सक्रियता के लिए भारत रत्न डॉ अम्बेडकर पुरस्कार, 2015 में “बिजनेसमैन ऑफ़ द ईयर अवॉर्ड” दिया गया। भरत निर्मन फाउंडेशन द्वारा “मेक इन इंडिया अवार्ड” के साथ सम्मानित किया जा चुका है। इनके अलावा भी कई सम्मान अनिल मुरारका जी के नाम हैं।
सिटी वुमन मैगज़ीन डॉट कॉम ने अनिल मुरारका से की ख़ास बातचीत जिसके अंश हम आपके साथ शेयर कर रहे हैं।
देश और दुनिया में महिलाओं के लिए किस तरह परिवर्तनों की ज़रूरत है। और इन परिवर्तनों के लिए किस तरह की कोशिशों की ज़रूरत है ग्राउंड लेवल पर ?
सबसे पहले तो व्यवस्था में परिवर्तन बहुत ज़रूरी हैं। आज कुछ पुराने कानून हैं वो वैसे ही चले जा रहे हैं। जैसे आज कई आदमी शादी शुदा होते हुए भी बाहर संबंध बनाते हैं और उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए कोई दिशा ही नहीं है। आज इस कार्रवाई की दिशा की ज़रूरत है। आज मर्द इस तरह के सम्बन्ध रखने की आज़ादी लेकर बैठें हैं। पर अगर यही सब कोई महिला करे तो क्या उसका पति उसे स्वीकार करेगा ? ऐसी ही कई बातें हैं। आज हम महिला सशक्तिकरण की बात कर रहे हैं। आज नई सरकार आये चार साल हो गए हैं। तब उन्होंने ज़िक्र किया था की हम महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण लाएंगे। वो भी अभी तक नहीं हुआ। जिसकी उम्मीद भी नहीं दिख रही है।
महिलाओं को आत्मनिभर बनाने के लिए क्या कुछ किया जाना ज़रूरी है
सबसे पहले तो लड़कियों को थोड़ी आज़ादी देनी बहुत ज़रूरी है। जब लड़के घर में जन्म लेते हैं तो हम जश्न मानते हैं। पर जब लड़की का जन्म होता है तो माहौल कुछ अलग होता है। हाँ कुछ घरों में बेटियों के जन्म पर भी जश्न होते हैं। मुझे लगता है कि बेटे और बेटी में ये अंतर नहीं होना चाहिए। आज के समय में बेटा और बेटी दोनों बराबर हैं। आज जब बेटियां घर से बहार निकलती हैं तो हम बोलते हैं की बेटा रास्ते में अपना ध्यान रखना। पर मुझे लगता है की वो दौर आ गया है जब हमें बेटों को ये बोलने की ज़रूरत है बेटा बहार जाकर किसी की बच्ची के साथ कोई गलत काम नहीं करना। बेटों को बताने की ज़रूरत है की लड़कियां किसी के घर की अमानत हैं। किसी की बेटी हैं।
“महिलाओं की इज़्ज़त करे” फिल्म्स, टीवी शोज, सोशल मीडिया सभी जगह इस मुद्दे पर काफी काम किया जा रहा है पर सुबह के अखबारों में महिलाओं से जुडी हिंसा की पढ़ने के बाद क्या आपको नहीं लगता की सारी मेहनत जीरो हो रही है।
आज कई टीवी सीरियल ऐसे हैं जहाँ ये दिखाया जाता है की महिला ने घूँघट लिया हुआ है। आप बात महिला सशक्तिकरण की कर रहे हैं पर दिखा ये सब रहे हैं। क्या है ये सब ? आज कई फिल्म्स और सीरियल ऐसे आ रहे हैं जहाँ ये दिखाया जा रहा की महिला को परदे में रखो। सरकार ने मुहिम चलाया है बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ। पर में उसमे जोड़ना चाहूंगा की बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ और बेटियों को आगे बढ़ाओ। जिस पर हमने एक शॉर्ट फिल्म (लघु फिल्म) भी बनाई थी। बेटियों को आजाद छोड़ो। उन्हें उनकी ज़िंदगी जीने दो। सरकार को दोष देने की बजाये सबसे पहले आपने आप को शिक्षित करें। जब तक इंसान अपनी सोच को नहीं बदलेगा तब तक ये बदलाव नहीं आ सकते हैं। आज आप देखिये लड़कियां कहाँ तक पहुँच गई हैं। वो भी तो किसी की बेटी हैं। उनके माता – पिता ने भी उन्हें आज़ादी दी। तो ये समझना सबके लिए बहुत ज़रूरी है। बेटा रात को बाहर जा सकता है तो बेटियां क्यों नहीं ? पर इसके लिए हमें बेटों को समझाना पड़ेगा। मुझे एक लाइन याद रही है। कि हर पिता के भाग्ये में बेटी नहीं होती। आज जिन घरों में बेटियां नहीं है। उनसे पूछो बेटियों का महत्व क्या है। जब आप उसे पढ़ते हुए, आगे बढ़ते हुए देखते हो, वो ज़िंदगी में सबसे आनंद भरे पल होते हैं।
एक सफल इंटरप्रेन्योर बनने के लिए महिलों को किन बातों का ख़ास ख्याल रखना चाहिए।
ख्याल रखने की जरूरत ही नहीं है। अगर आप में जज्बा है कुछ करने का तो आसमान आपका है। ज़िंदगी मिली है तो उसे अच्छे से जियो उसको तरीके से लेकर आगे बढ़ो और उसका आनंद लो।
जीवन की चुनौतियां बता कर नहीं आती ऐसे में बिज़नस वर्ल्ड से जुडी महिलाओं को आप क्या राय देना चाहेंगे ताकि वो ज़िंदगी में आने वाली चुनौतियों को फेस करने के लिए के लिए वक़्त पर तैयार रह सकें।
बुज़ुर्गो ने कभी एक बात कही थी कि आपका शरीर एक मशीन की सामान है। अगर आप अपने शरीर का ध्यान नहीं रखेंगे तो आप ज़िंदगी में कुछ नहीं कर पाएंगे। मैं इस बात में विशवास रखता हूँ कि आप पैसे के पीछे मत भागो। पैसों के पीछे भागना एक ना – समझी है। अपने लक्ष्य, अपने काम पर फोकस करो। पैसा अपने आप आ जायेगा। अगर आप ईमानदारी और शिद्दत से काम करते हैं तो याद रखिये ऊपर वाला भी देख रहा है आपको।