मैं खास नहीं एक आम इंसान हूं, दिमाग में एक छोटी सी कमी मुझे किसी से जुदा नहीं कर सकती। ये उस शख्स की आवाज है जो कुछ पलों के लिए अपने दिमाग पर नियंत्रण खो देता है। दिमाग में कुछ देर के लिए झटके महसूस होंगे। यही है एपिलेप्सी।
एपिलेप्सी जिसे आम भाषा में मिर्गी का दौरा कहा जाता है। एपिलेप्सी के मरीजों और उनके परिवार को सही इलाज के प्रति जागरूक किया जा सके, इसके लिए हर साल 17 नवंबर को नेशनल एपिलेप्सी डे मनाया जाता है।
ऐसा माना जाता है कि विश्व की कुल जनसंख्या के 8 से 10 प्रतिशत तक को अपने जीवनकाल में एक बार इसका दौरा पड़ सकता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर के पाँच करोड़ लोग और भारत के करीब एक करोड़ लोग इस बीमारी का शिकार हैं।
क्यों होती है बीमारी
दिमाग का काम न्यूरॉन्स के सही तरह से सिग्नल देने पर निर्भर करता है। लेकिन जब इस काम में रुकावट आती है तब दिमाग के काम में प्रॉबल्म आना शुरू हो जाता है। इसके कारण मिर्गी का दौरा पड़ता है इसकी वजह से शरीर अकड़ जाता है, इंसान बेहोश हो जाता है, कुछ वक्त के लिए शरीर के विशेष अंग पूरी तरह से काम करना बंद कर देते हैं।
एपिलेप्सी के कारण
1. सिर पर किसी प्रकार का चोट लगने के कारण।
2. जन्म के समय मस्तिष्क में पूर्ण रूप से ऑक्सिजन का आवागमन न होने पर।
3. ब्रेन ट्यूमर।
4. दिमागी बुखार (meningitis)और इन्सेफेलाइटिस (encephalitis) के इंफेक्शन से मस्तिष्क पर पड़ता है प्रभाव।
5. ब्रेन स्ट्रोक होने पर ब्लड वेसल्स को क्षति पहुंचती है।
क्या है इलाज
ज्यादातर मामलों में मिर्गी का इलाज दवाई से संभव है लेकिन कुछ एक दो केस में ऑपरेशन की आवश्यकता पड़ सकती है। इस बीमारी के रोगी को मानसिक साथ की ज्यादा आवश्यकता होती है। परिवार वाले और दोस्त मरीज का दिमागी रुप से साथ देते हैं तो ये समस्या जड़ से जल्दी निपट सकता है।