Hemlata Gautam
पहाड़गंज की तंग भीड़-भाड़ भरी गलीओं से जुड़े एक छोटे से घर में रहने वाली सुमन ठाकुर। किसने सोचा था की सुमन एक दिन साउथ कोरिया के पियोँग चांग में अपनी जीत का परचम लहरायेगी।
साउथ कोरिया के 2013 में हुए स्पेशल ओलंपिक्स के वर्ल्ड विंटर गेम्स में सुमन ने फ्लोर हॉकी में गोल्ड मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया । पर सुमन का ये सफर इतना भी आसान नहीं था। वो फिफ्थ क्लास में लगातार तीन बार फेल हुई। जिसके बाद पहली बार सुमन के माता -पिता को पता चला की उनकी बेटी स्लो लर्नर हैं। उसका आई क्यू लेवल उसकी उम्र के बच्चो के मुकाबले काफी काम था । जिसकी वजह से उसे पढ़ने – लिखने में काफी दिक्कत आती थी। सुमन की परेशानी जाने के बाद उसके माता-पिता ने उसका एडमिशन स्पेशल ओलंपिक्स में कराया । जहाँ उसने स्पोर्ट्स की ट्रेनिंग ली।
आज वही सुमन स्पेशल ओलंपिक्स में अस्सिटेंट कोच है। आज वो दिल्ली के कई फेमस स्पेशल स्कूल्ज नव चेतना, प्रभा स्कूल, संकल्प स्कूल में बच्चों को स्पोर्ट्स की ट्रेंनिंग देती है । वो इन बच्चो को फ्लोर हॉकी के आलावा, बास्केट बॉल, वॉलीबॉल भी सिखाती है। अब स्पोर्ट्स ही सुमन का पैशन है और जॉब भी। सुमन अपने आप को बहुत लकी मानती है, वो कहती है की ज़िंदगी में हर किसी को ये मौक़ा नहीं मिलता की वो अपने जूनून को ही अपना प्रोफेशन बना सके लेकिन मुझे ये मौक़ा मिला है। आज मैं एक इंडिपेंडेंट गर्ल हूँ । और आम लड़कियों की तरह खास ज़िंदगी जीती हूँ ।